परिवर्तन
यह उन दिनों की बात है जब हम कॉलेज में पढ़ा करते थे। हमारे दोस्तों...
तेरी.. मेरी.. उसकी बातें
यह उन दिनों की बात है जब हम कॉलेज में पढ़ा करते थे। हमारे दोस्तों...
जिम्मेदारियों ने धर दबोचा है कुछ इस तरह, की हास्य पर भी आंसू निकल आते...
महानगर “ वह चहलकदमी करते हुए कभी बालकनी में जाती, कभी गैलरी में तो कभी...
वह रेशमी कुर्ता जो बहुत पसंद था मुझे, वक्त के साथ-साथ नापसंद हो गया… अलमारी...
मेरा घर अब मेरा नहीं रहा, दीवारें भी सुनती है बाहर का कहा, चूल्हे की...
तुम तो रूठ जाती हो, पर मेरा साँस लेना तकलीफ़देह हो जाता है…. बिना तुम्हारे...
तुम्हारे गजरे की खुशबु से जैसे महक जाते हैं तुम्हारे बाल, ऐसे ही तुम्हारी मुहब्बत...
कि तुम जान सको, इबादत की परिभाषा! पत्थर से असीम उम्मीद की आशा… इश्क करना-...
“तुम्हारे जैसी मैं भी” कितना वक़्त लगा मुझे, तुम्हारे जैसा होने में… अब तो मुस्कुरा...
खुद को स्वीकार करना ही अध्यात्म का आखरी और पहला पड़ाव है। हम अगर खुद...